अखबारों में लगभग रोज़ पढ़ता हूं
और फिल्मों में भी अक्सर देखता हूं
एक ‘स्युसाइड नोट’, जो कोई मरने वाला अपने पीछे छोड़ जाता है
कभी उनसे हमदर्दी पैदा होती है
कभी ऊब
और कभी कोफ्त भी।
विदर्भ से आने वाली किसानों की ख़ुदकुशी की ख़बरें
परेशान करती हैं
लेकिन निजी त्रासदी से ज्यादा सामाजिक विडंबना की तरह
जिसके पीछे छुपे चेहरे आम तौर पर दिखते नहीं,
उन मौकों को छोड़कर
जब किसी किसान का परिवार टीवी पर बिलखता दिखाई पड़ता है
लेकिन यह रोज का किस्सा है
जिससे दो-चार होने की आदत सी पड़ गई है
यानी कुल मिलाकर खुदकुशी मेरे लिए ऐसी दास्तान नहीं
जो अनजानी या दिल तोड़ने वाली हो।
लेकिन इन सबके बावजूद,
उस असली ‘स्युसाइड नोट’ को छूते समय जिस तरह कांपे मेरे हाथ
जिस तरह सिहरा मेरा दिल
जिस तरह फट पड़ने को आया मेरा कलेजा
उन सबकी थरथराहट मेरे भीतर से जाने का नाम नहीं ले रही।
ऐसा कुछ नहीं है, उस पत्र में जिसका पहले से मुझे अनुमान न हो।
मृत्यु के ऐन पहले अपने क्षोभ, अपनी हताशा, जीवन से हार कर
मौत को चुनने के अपने तर्क
और
अपने बचे-खुचे सामान की सूची के साथ
अपने मां-पिता से जानी-पहचानी क्षमायाचना
अपने छोटे भाई-बहन को सलीके से रहने की
और
इन सबसे बढ़कर उसकी मौत पर दुखी न होने की हिदायत-
लेकिन यह अहसास कि यह पत्र वाकई मरने से पहले किसी लड़की ने लिखा है,.
कि एक हाथ ने आखिरी बार छुआ होगा यह कागज़
दो उंगलियों ने आख़िरी बार पकड़ी होगी कलम
कि उसका एक-एक शब्द बिल्कुल आखिरी बार लिखा जा रहा होगा
कि आख़िरी बार लगाया जा रहा होगा हिसाब
कि ज़िंदगी ने क्या-क्या दिया, क्या-क्या लिया,
कि आखिरी बार होगी अपने पिता से उम्मीद
कि वे महानगर में उसके अकेले और भुतहा लगते से कमरे से
उसका एक-एक सामान करीने से चुनकर निकालेंगे
और ले जाएंगे मां के पास
जो देखेगी, बेटी ने मौत का यह सफ़र चुनने से पहले
कहां-कहां से जुटाया ज़िंदगी का असबाब
जो रोएगी और उस घड़ी को कोसेगी
जब उसने बेटी को शहर में नौकरी खोजने और करने की इजाज़त दी
मृत्यु से ठीक पहले क्या सोचता है आदमी?
क्या सोच रही होगी वह लड़की मरने से पहले?
यह पत्र काफी कुछ उसके बारे में बताता है
लेकिन इस आखिरी पत्र के बाद भी
आई होंगी आखिरी घड़ियां
तब क्या उसे एक-एक लम्हा एक सदी जैसा नहीं लगा होगा?
जब उसने छत की किसी कुंडी से एक रस्सी लटकाई होगी
जब उसने दुपट्टे को अपनी गर्दन पर लपेटा होगा
और जब वह अपनी बची-खुची हिम्मत जुटा कर, अपनी सारी यादों को
पीछे धकेलकर
जिए जाने को कलपती ज़िंदगी की पुकार को अनसुना कर
एक ऐंठी हुई आखिरी तकलीफ के इंतज़ार में झूल गई होगी
जिसके बाद सबकुच ख़त्म हो जाएगा
न जाने कितनी बार देखा और सोचा हुआ है यह दृश्य
लेकिन मेरे हाथ में फिलहाल है अपनी मौत के प्रति
आगाह करती एक असली चिट्ठी
जिसे एक रस्सी थामने से पहले एक लड़की ने जतन से सिरहाने पर रखा था
जिसे मैं बार-बार देखता हूं
और शब्दों के बीच वह कंपन पहचानने की कोशिश करता हूं
जो उस लड़की के दिल में रहा होगा
वह आखिरी रुलाई पढ़ने की,
जो उसके भीतर अपने भाई, पिता, मां और प्रेमी की याद को लेकर उठी होगी।
मैं जानता हूं, मैं भावुक हो रहा हूं
जिस देश में बीते बीस साल में २२००० किसानों ने ख़ुदकुशी की हो
और जिनकी खबर से अखबारों के पन्ने रंगे हुए हों,
वहां एक मायूस लड़की की खुदकुशी के पहले का आखिरी ख़त
मेरे हाथ में पड़कर मेरे भीतर गड़ जाए
और मैं इसे छुपाने की कोशिश भी न करूं
तो इसमें आपको एक भावुकता दिख सकती है
लेकिन क्या करूं उस खलिश का, जो सारे तर्कों के बावजूद
मेरे भीतर बची हुई है,
बस याद दिलाती हुई
दूर से त्रासदियां बहुत छोटी, बहुत मामूली जान पड़ती हैं
उनके करीब जाओ तो समझ में आता है
ज़िंदगी कहां-कहां कितना-कितना जोड़ती है
मौत कैसे-कैसे कितना-कितना तो़ड़ती है
Friday, March 28, 2008
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7 comments:
accha laga padh k sir ji....
sach me aakhri khat kavita padh kar andar tak shabd utar gaye.
pichle dino yani march ke pahle hapte se le kar do tin hapto me jitni khudkusi hui vo dahalane vali hai.
aap ki kavita eak post sucide dastavez hi hai.
प्रियदर्शन जी क्या कहेंगें...ये मौत के पार देखने की ताकत है या हकीकत से मुंह मोड़ने का बहाना
अवसाद
उतर रहा है
हलक के नीचे
तीखी शराब की तरह
कितना जरूरी है एक पैग अवसाद
शिलाजीत के एक औंस की ही तरह
मुँद रही हैं आँखें
मस्तिष्क में खदबदाहट
अतीत के शरणागत हो जाने को
बेचैन आत्मा
कागज पर उतर रहे हैं अक्षर
याद आ रही है
कोई बात पते की
अवसाद
उतर रहा है
हलक के नीचे
तीखी शराब की तरह
कितना जरूरी है एक पैग अवसाद
शिलाजीत के एक औंस की ही तरह
मुँद रही हैं आँखें
मस्तिष्क में खदबदाहट
अतीत के शरणागत हो जाने को
बेचैन आत्मा
कागज पर उतर रहे हैं अक्षर
याद आ रही है
कोई बात पते की
Bahut behatarin likha hai....
Nice Love Story Added by You Ever. Read Love Stories and प्यार की स्टोरी हिंदी में aur bhi bahut kuch.
Thank You For Sharing.
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