tag:blogger.com,1999:blog-3756650124144915412.post156669823613005215..comments2023-09-23T05:32:38.436-07:00Comments on भरोसा: अहंकारी धनुर्धरप्रियदर्शनhttp://www.blogger.com/profile/01612954000755850954noreply@blogger.comBlogger4125tag:blogger.com,1999:blog-3756650124144915412.post-56128664906877841442007-10-01T07:44:00.000-07:002007-10-01T07:44:00.000-07:00बड़ी गहरी अंतरदॄष्टि है। चकित रह गई ।इलाबड़ी गहरी अंतरदॄष्टि है। चकित रह गई ।<BR/>इलाIlahttps://www.blogger.com/profile/15571289109294040676noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3756650124144915412.post-65179521039565356802007-09-27T08:31:00.000-07:002007-09-27T08:31:00.000-07:00प्रियदर्शन जी महत्वाकांक्शा के पिछे छिपी क्रूरता क...प्रियदर्शन जी महत्वाकांक्शा के पिछे छिपी क्रूरता को इतने बेहतर ढंग से बताने के लिए शुक्रिया। सचमुच व्यक्ति खुद की तमन्नाओं को पूरा करने के लिए किसी भी हद तक चले जाता है। अपने फायदे के लिए दूसरे का नुकसान हो तो हो इससे उसे कोई फर्क नहीं पड़ता। <BR/>मजा आ गया।manish joshihttps://www.blogger.com/profile/15204678102509498042noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3756650124144915412.post-5490672875180528962007-09-26T23:07:00.000-07:002007-09-26T23:07:00.000-07:00आपने केवल मिथक को ही नहीं पलटा बल्कि लक्ष्य के पीछ...आपने केवल मिथक को ही नहीं पलटा बल्कि लक्ष्य के पीछे छुपी हुई क्रूरता को आंखों के सौन्दर्य से धाराशयी कर दिया है। कविता बस केवल इतना करती है कि पढ़ने वाला लड़खड़ा पड़े। आपकी कविता से मैं लड़खड़ा गया। (9871087594)विनीत कुमारhttps://www.blogger.com/profile/09398848720758429099noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3756650124144915412.post-21216665165298999752007-09-25T23:31:00.000-07:002007-09-25T23:31:00.000-07:00बहुत खूब...बहुत खूब...चंद्रप्रकाशhttps://www.blogger.com/profile/14218549350731702452noreply@blogger.com