tag:blogger.com,1999:blog-3756650124144915412.post2588271501859620686..comments2023-09-23T05:32:38.436-07:00Comments on भरोसा: गुस्सा और चुप्पीप्रियदर्शनhttp://www.blogger.com/profile/01612954000755850954noreply@blogger.comBlogger17125tag:blogger.com,1999:blog-3756650124144915412.post-84988764879797397752019-09-28T01:18:25.059-07:002019-09-28T01:18:25.059-07:00बहुत शानदार प्रस्तुति, बहुत ही उच्च स्तरीय व्याख्य...बहुत शानदार प्रस्तुति, बहुत ही उच्च स्तरीय व्याख्या।<br />अप्रतिम।मन की वीणाhttps://www.blogger.com/profile/10373690736069899300noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3756650124144915412.post-5390951689187595472019-09-27T13:14:47.917-07:002019-09-27T13:14:47.917-07:00आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में"...<i><b> आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" शनिवार 28 सितम्बर 2019 को लिंक की जाएगी ....<a href="http://halchalwith5links.blogspot.in" rel="nofollow"><br />http://halchalwith5links.blogspot.in </a>पर आप भी आइएगा ... धन्यवाद!<br /></b></i><br />विभा रानी श्रीवास्तवhttps://www.blogger.com/profile/01333560127111489111noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3756650124144915412.post-51404465538801537792009-06-09T12:45:45.956-07:002009-06-09T12:45:45.956-07:00well done.............well done.............jayesh sharmahttps://www.blogger.com/profile/15957049662128470881noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3756650124144915412.post-91371236120683564012009-06-01T00:54:55.110-07:002009-06-01T00:54:55.110-07:00THANK YOU FOR WRITING SUCH A GREAT POEM...THANK YOU FOR WRITING SUCH A GREAT POEM...naina3dechttps://www.blogger.com/profile/02120443642558583140noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3756650124144915412.post-47565075738473369352008-07-02T00:36:00.000-07:002008-07-02T00:36:00.000-07:001. तुम्हारे गुस्से का कोई फ़ायदा नहींजो तुम तोड़ना...1. तुम्हारे गुस्से का कोई फ़ायदा नहीं<BR/>जो तुम तोड़ना चाहते हो वह नहीं टूटेगा<BR/>और बहुत सारी दूसरी चीजें दरक जाएंगी...<BR/><BR/>2. क्या कोई समझदारी भरा गुस्सा हो सकता है?लेकिन तब वह गुस्सा कहां रहेगा?<BR/>उसमें योजना शामिल होगी, सतर्कता शामिल होगी<BR/>...कायदे से देखो<BR/>तो एक हद के बाद गुस्से और चुप्पी में ज़्यादा फर्क नहीं रह जाता।<BR/><BR/>3. कुल मिलाकर समझ में यही आता है<BR/>कुछ लोग गुस्से का भी इस्तेमाल करना जानते हैं और चुप्पी का भी<BR/>उनके लिए गुस्सा भी मुद्रा है, चुप्पी भी।<BR/><BR/>सर, इन बंदों से गुजरने के बाद सारे भाव, सारे विचार गड्डमड्ड हो गए, इसलिए नहीं कि कविता की लय टूट गई बल्कि वजह ये थी कि एक बंद के बाद जो चीज जायज़ लगती अगले फ्रेम में लय में बहती कविता उस भाव की भी बखिया उधेड़ डालती। दिल में एक आस जरूर थी आखिर इतनी अच्छी समीक्षा के बाद आप कहीं तो ठहरेंगे...बस टिप्पड़ी के लिए हम आपसे वही शब्द उधार ले लेंगे....<BR/><BR/>"बस थोड़ा सा गुस्सा अपने भीतर बचाए रखो और थोड़ी सी चुप्पी भी<BR/>मुद्रा की तरह नहीं, प्रकृति की तरह"<BR/>(देर से पढ़ने के लिए क्षमा)Sandeep Singhhttps://www.blogger.com/profile/17906848453225471578noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3756650124144915412.post-60855339273975140392008-06-24T10:12:00.000-07:002008-06-24T10:12:00.000-07:00अरूण आदित्य जी के मत से सहमत हूं। दुष्यंत कुमार ...अरूण आदित्य जी के मत से सहमत हूं। <BR/><BR/>दुष्यंत कुमार का शेर भी याद आया 'थोडी आंच बनी रहने दो, थोडा धुंआ निकलने दो'<BR/><BR/>उम्मीद है आप मजे में होंगे।Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/16171943793022610620noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3756650124144915412.post-25550277947011977352008-06-07T04:39:00.000-07:002008-06-07T04:39:00.000-07:00गुस्से पर बहुत सुंदर रचना रची है आपने ...अच्छा लगा...गुस्से पर बहुत सुंदर रचना रची है आपने ...अच्छा लगा ....बधाईReetesh Guptahttps://www.blogger.com/profile/12515570085939529378noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3756650124144915412.post-85228578701866949562008-06-05T07:32:00.000-07:002008-06-05T07:32:00.000-07:00क्योंकि तुम्हारे गुस्से का कोई फ़ायदा नहींजो तुम त...क्योंकि तुम्हारे गुस्से का कोई फ़ायदा नहीं<BR/>जो तुम तोड़ना चाहते हो वह नहीं टूटेगा<BR/>और बहुत सारी दूसरी चीजें दरक जाएंगी..ठीक कहा आपने..सुबोधhttps://www.blogger.com/profile/10810549312103326878noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3756650124144915412.post-60786919873240898922008-06-03T20:40:00.000-07:002008-06-03T20:40:00.000-07:00हमेशा की तरह साधारण से विषय की असाधारण खोज. इसपर म...हमेशा की तरह साधारण से विषय की असाधारण खोज. इसपर मैं चुप्पी नहीं साध सकता था.Manoj Sinhahttps://www.blogger.com/profile/15451217405889240352noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3756650124144915412.post-88421369185571623412008-06-03T08:38:00.000-07:002008-06-03T08:38:00.000-07:00लाजवाब।लाजवाब।अनुराग अन्वेषीhttps://www.blogger.com/profile/09263885717504488554noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3756650124144915412.post-45457184856657504652008-06-02T18:35:00.000-07:002008-06-02T18:35:00.000-07:00बस थोड़ा सा गुस्सा अपने भीतर बचाए रखो और थोड़ी सी ...बस थोड़ा सा गुस्सा अपने भीतर बचाए रखो और थोड़ी सी चुप्पी भी <BR/>मुद्रा की तरह नहीं, प्रकृति की तरह<BR/>क्योंकि गुस्सा भी कुछ रचता है और चुप्पी भी<BR/>हो सकता है, दोनों तुम्हारे काम न आते हों,लेकिन दूसरों को उससे बल मिलता है<BR/>जैसे तुम्हें उन दूसरों से,कभी जिनका गुस्सा तुम्हें लुभाता है, कभी जिनकी चुप्पी तुम्हें डराती है।<BR/><BR/>बिल्कुल सही कहा आपने।Arun Adityahttps://www.blogger.com/profile/11120845910831679889noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3756650124144915412.post-49033180961200685432008-06-02T02:17:00.000-07:002008-06-02T02:17:00.000-07:00कविता एक स्वांस में पढ कर महसूस की जाने वाली है, ब...कविता एक स्वांस में पढ कर महसूस की जाने वाली है, बेहद प्रभावी..<BR/><BR/>***राजीव रंजन प्रसादराजीव रंजन प्रसादhttps://www.blogger.com/profile/17408893442948645899noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3756650124144915412.post-44829248893810279252008-06-02T02:12:00.000-07:002008-06-02T02:12:00.000-07:00क्या बात है गुस्से पर भी लिख दिया सर जी। "गुस्सा भ...क्या बात है गुस्से पर भी लिख दिया सर जी। "गुस्सा भी कुछ रचता है" बिल्कुल सही बात कह दी कितने प्यारे ढग से। मुझे शुरू से ही लगता है कि हर चीज सुन्दर है प्यारी है और पता नही क्या क्या है ये आप ही बता सकते है पर हर चीज की एक महीन सी लक्ष्मण रेखा होती है वो पार नही होनी चाहिए। अर्थात किसी चीज की अति नही होनी चाहिए।सुशील छौक्कर https://www.blogger.com/profile/15272642681409272670noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3756650124144915412.post-22027684639316354312008-06-02T01:18:00.000-07:002008-06-02T01:18:00.000-07:00मानव की मनः स्थिति और चरित्र का बखान करती हुई एक ल...मानव की मनः स्थिति और चरित्र का बखान करती हुई एक लाजवाब रचना.<BR/>आपने अपनी कविता के माध्यम से अति सुंदर विश्लेषण किया.<BR/>ध्यान से पढने पर गुस्से से जुड़ी कई परेशानियों का हल भी मिलता है.<BR/>आभार.बालकिशनhttps://www.blogger.com/profile/18245891263227015744noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3756650124144915412.post-32933141896880743682008-06-02T01:17:00.000-07:002008-06-02T01:17:00.000-07:00कायदे से देखोतो एक हद के बाद गुस्से और चुप्पी में ...कायदे से देखो<BR/>तो एक हद के बाद गुस्से और चुप्पी में ज़्यादा फर्क नहीं रह जाता<BR/><BR/>बहुत सही कहा।शायदाhttps://www.blogger.com/profile/17484034104621975035noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3756650124144915412.post-79219072312358163932008-06-02T00:12:00.000-07:002008-06-02T00:12:00.000-07:00अन्तिम पंक्ति में बचाना* की जगह बचना पढेअन्तिम पंक्ति में बचाना* की जगह बचना पढेRajesh Roshanhttps://www.blogger.com/profile/14363549887899886585noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3756650124144915412.post-543350438860450672008-06-02T00:11:00.000-07:002008-06-02T00:11:00.000-07:00इस गुस्से और चुप्पी की माला ऐसी है की आप इससे निकल...इस गुस्से और चुप्पी की माला ऐसी है की आप इससे निकल नही सकते. अगर कुछ कर सकते हैं तो वो बस इतना की आप लोगो के लिए अच्छा भाव रखे. <BR/><BR/>कई लोगों को आता भी है ऐसा शातिर गुस्सा<BR/>उनके चेहरे पर देखो तो कहीं से गुस्सा नहीं दिखेगा<BR/>हो सकता है, उनके शब्दों में तब भी बरस रहा हो मधु<BR/>जब उनके दिल में सुलग रही हो आग।<BR/><BR/>इस स्थिति से बचाना चाहिएRajesh Roshanhttps://www.blogger.com/profile/14363549887899886585noreply@blogger.com